कहानी ..वीरांगना
वीरांगना……
”अरे ! क्या स्वाति, जब से आई हूँ तेरा ध्यान ही नहीं है यहाँ हम सब पर…हो तो यहीं पर दिल और दिमाग तो तुम्हारे मोबाईल में है…क्यों तुम घडी घडी मोबाईल को उठा उठा कर देख रही हो?”रीमा ने अपनी बात खतम की ओर स्वाति की तरफ देखने लगी |
”कुछ नहीं भाभी !बस किसी का एक जरुरी मैसेज आना है..उसी का सुबह 11 बजे से इंतज़ार कर रही हूँ|शाम के चार बज के पर वो जरुरी मैसेज नहीं आया |अब तो मुझे अपने मोबाइल और भेजने वाले पर इतना गुस्सा आ रहा है कि ऐसा मन होता है कि ये मोबाइल ही दीवार पर फेंक कर तोड़ दूँ |”
रीमा ने स्वाति को अपनी ओर मोड़ते हुए पूछा ”सच कहो स्वाति! बात क्या है ?तुम परेशां क्यों हो? बात सिर्फ मैसेज की ही है या कोई और भी बात है जो तुम बताना चाह रही हो पर बता नहीं पा रही हो? सच कहो मुझे …”
स्वाति थोड़ी देर को खामोश रही और बहुत उदासी से बोली”भाभी!कुछ वक़्त से राजेश मुझे वक़्त नहीं दे पा रहे हैं..बहुत अकेली महसूस कर रही थी खुद को |
करने को कुछ रहता ही नहीं है..तो सारा दिन फेसबुक और व्हाट्सअप पर ज्यादा निकल रहा था…यूँ ही फेसबुक पर दोस्ती किसी न किसी से बातचीत के दौरान हमारी दोस्ती बढती चली गई …और हमने एक दूसरे से फोन नम्बर्स कि अदलाबदली कर ली |
फिर व्हाट्सअप पर हमने एक दूसरे को गुड मोर्निंग और गुड नाईट के मेसेज करने शुरू कर दिए|धीरे-धीरे दूसरी तरफ से खूबसूरत शेरो-शायरी आनी शुरू हो गई..उस में मेरी सुन्दरता के,मेरी तारीफ के कसीदे लिख कर आने लगे..और मैं मूर्ख उसे सच मान,उसका इंतज़ार करने लगी |
पहले पहले तो ऑन लाइन होने में अगर थोड़ी सी भी देर हो जाती थी तो वो जनाब..रो कर…मुनहार कर,कसमे दे कर अपने प्यार का यकीन करवाते रहे और मैं पागल…अपने घर को,काम और बच्चों को इग्नोर कर ,बस उस से बातें करने में अपने आप को बिज़ी करती चली गई |”
”बस करो स्वाति ! ये अकेले तुम्हारी बात नहीं है,तुम्हारी जैसी असंख्य महिलाओं की एक जैसी ही कहानी है..तुमने जो बताया और जो नहीं बताया…वो मैं सब समझ चुकी हूँ| इस से पहले की तुम मुझे अपनी आगे की बात बताओ,पगली लड़की पहले तुम ये बताओ कि तुम्हारी उस तथाकथित प्रेमी से बात कब हुई थी ”
” भाभी कल रात को 12 बजे..राजेश के सोने के बाद..दोहर में छिप कर बातचीत कि ताकि मोबाईल की रोशनी भी बाहर ना जाए”
”तुम सच में पागल हो गई हो..क्या कभी तुम्हें राजेश ने टोका नहीं कि मोबाईल के साथ इतनी रात को क्या कर रही हो ? क्या ये वक़्त तुम लोगों का प्राइवेट टाइम नहीं होता ?”
”होता है भाभी..पर कुछ वक़्त से मेरा मन राजेश कि तरफ से उचाट होता जा रहा है… मैं उसे, टूट कर चाहने लगी हूँ..वो मुझे सारा दिन जब भी मैसेज करो वो अपना वक़्त देता है…कुछ भी मैसेज में कहती हूँ या पूछती हूँ तो हर बात का सीधे तरीके से जवाब देता है,बेवजह चिढ़ता नहीं है और वहीँ राजेश मुझ से ठीक से मुहँ बात तक नहीं करते |बात बात पर अपने काम का गुस्सा मुझ पर चिल्ला कर निकालते रहते है और इसी वजह से मेरा पूरा दिन गुस्से और खुंदक में निकलता है ”
”बस करो स्वाति ! ओर कुछ मत कहो..मेरा अब ओर कुछ भी सुनने का मन नहीं है…इस वक़्त मैं तुम्हें जो भी बात समझाउंगी, तुम उसे समझने या मानने की स्थिति में हो ही नहीं….क्योंकि अभी तुम पर उस फेसबुक वाले का बहुत गहरा असर होगा…इस से बेहतर है तुम मेरी ये डायरी में रखे लेटरर्स को पढ़ लो…फिर उसके बाद आराम से हम बातें करते हैं”
रीमा अपनी डायरी स्वाति को पकड़ा कर उसके सामने से हट गई और दूर बैठी स्वाति के चेहरे को पढने की कोशिश करने लगी | स्वाति ने डायरी में से एक एक करके 10…11 लेटरर्स पढ़ डाले |उसके चेहरे के आते जाते भावों से रीमा समझ गई कि उस से बहुत बड़ी गलती हो गई जो वो इस तरह की बेकार की बातों में आ कर अपनी जिंदगी को कितने बड़े खतरे में डालने चली थी |आखिर में स्वाति ने गुस्से में वो डायरी ही फेंक दी |
‘’what is this rabish (क्या बकवास है ये) |ये सब क्या है भाभी ?ये सब बातचीत आपको कहाँ से मिली?ऐसी बातें हमारी तो लगभग रोज़ ही हुआ करती थी ?क्या मेरा मोबाईल और फेसबुक अकाउंट खुला रह गया था? जहाँ से आपने ये सारी बातें पढ़ी?
‘’नहीं! मैंने तुम्हारी कोई बात नहीं पढ़ी|मुझे कुछ भी कहने से पहले तुम इन लेटरर्स में से डेट और उन लोगों के फ़ोन नंबर तो देख लेती |मैंने तुम्हें ये पढने को दी भी सिर्फ इस लिए थी कि तुम अकेली नहीं हो जो ऐसे बेकार के लोगों की बातों में फंसी हो |
कुछ नपुंसक टाइप के लोग है जो सिर्फ अपना टाइम पास करने के लिए तुम जैसी मूर्ख औरतों को अपनी बातों में फंसा लेते हैं और तुम जैसी ना जाने कितनी ही औरतें/लडकियाँ तब जागती हैं,जब तुम लोगों का बहुत बड़ा नुकसान हो चुका होता है|
यहाँ आने पर तुम्हारा चेहरा और बार बार मोबाईल को उठा उठा कर देखना,मुझे किसी अनहोनी की ओर ही ईशारा कर रहा था और मेरा शक सही भी निकला| स्वाति मेरी इतनी तो उम्र हो ही गई है कि मैं तुम्हारी आँखों में उतरे बसंत को और तुम्हारे चेहरे पर खिले गुलमोहर सी मुस्कराहट को अच्छे से देख सकती हूँ,पर तुम्हें मैं जानबूझ के तुम्हें या इस घर को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचाने दूंगी |’’
“पर भाभी ये सब क्या है …ये चिट्ठियाँ…ये डायरी,ये फोन नम्बर..पर किसी किसी भी लेटर में किसी का नाम नहीं है|’’
‘’स्वाति! क्या तुम जानती हो तुम्हारे नेट के ई पी एड्रेस ( IP )से कोई भी तुम्हारा डाटा…तुम्हारी चैट…तुम्हारी आई डी सब हैक कर सकता है…फिर भी तुम इतना बड़ा खतरा लेकर इस तरह की चैट लगातार करती आ रही हो|तुम्हें एक बार भी डर नहीं लगा कि अगर ये बातें राजेश पढ़ ले तो क्या बीतेगी उस पर|
और एक बात बताओ अगर तुम्हें ये बात किसी से शेयर करने का मन हो तो क्या तुम अपने असली नाम और पहचान के साथ अपनी सारी बातें शेयर कर पाओगी? बस एक बार अपनी की हुई चैट को फिर से पढना..तुम्हें खुद से नफरत होने लगेगी..कभी सोचा है ये जो जो बातें तुम लोग चैट पर लिखते हो एक दूसरे को रिझाने के लिए..क्या कभी तुमने ये ही बातें अपने पार्टनर से उसे खुश करने के लिए की है कभी…
इंटरनेट वालों की अस्पष्ट मानसिकता का क्या नतीजा होता है अब मुझे ये बताने की जरुरत नहीं है |लगभग सभी आदमियों की बातें और सभी औरतों की सोच एक जैसी ही है..|
पता नहीं क्यों हर कोई अपने घर,अपने पार्टनर से असंतुष्ट क्यों है ?किसी को भी तृप्ति का आभास नहीं है…और जब तक सच्चाई का आभास होता है बहुत से रिश्ते और बहुत से घर इस धोखे की भेंट चढ़ चुके होतें|
मैं दावे से कह सकती हूँ..जब से तुम्हारी दोस्ती इन्टरनेट वाले से हुई होगी तब से कि तुमने भी कभी प्यार से राजेश से बात नहीं की होगी |”
“हाँ भाभी!..सच में मुझे याद ही नहीं कि मैंने राजेश को कब प्यार से कुछ बोला हो|
“तो फिर तुमने ये कैसे सोच लिए कि राजेश तुम्हारे साथ प्यार से पेश आएगा..ये भी तो हो सकता है कि वो कुछ कुछ तुम्हारा सच जानता हो और अब ये सोचों कि सब, इन लेटरर्स में अपनी पहचान कैसे बताएंगी, पर इन सबने अपने फोन नंबर के साथ साथ उन आशिकों के फोन नंबर शेयर किये हैं जो इनके साथ फ्रोड…फालतू की दिमाग ख़राब करने वाली प्रेम की चिकनी-चुपड़ी बातें किया करते थे|कुछ तो वो भी है जो कैमरे के आगे या फेस-टाइम करके, नंगा बदन दिखाने की जिद्द तक किया करते थे|
कुछ तो ज्यादा ही उम्र-दराज़ ले लोग अपनी उम्र छिपा कर अपनी शारीरिक कमजोरियों को छिपाने के लिए लड़कियों के इर्द-गिर्द भानात्मक परिधि बना देते है और लड़कियों उस में फंसती चली जाती हैं
कुछ तो उनकी चाल में फंस गई और बहुत बड़ी मुसीबत में फंसी..और कुछ ने वक़्त पर खतरे को भांप कर उन्हें अपने फोन और फेसबुक पर ब्लाक कर,अपने जीवन को तबहा होने से बचा लिया|
तुम जानती हो इसे साइबर क्राइम की श्रेणी में रखा गया है..जहाँ औरतों से अशलीन बातें करना, उनकों सेक्स चैट के लिए उकसाना…औरतों की फ़ोटो से उनके चेहरे लेकर,उन्हें पोर्न साईड पर इस्तेमाल करना…उन्हें उनकी चैट दिखा कर ब्लैक मेल करना..धमकियाँ देना..सब क्राइम है और इसकी शिकायत करने वाले को सुरक्षा और अपराधी को सज़ा का प्रवधान के साथ साथ जुर्माना भी है |
बहुत सी लडकियाँ ब्लैक मेल होने के बाद खुद के लिए आत्महत्या का रास्ता चुनती हैं क्योंकि उनके पास इसके सिवा कोई विकल्प नहीं बचता और जो समझदार होती हैं वो खुद को बचाने के लिए पुलिस और अपने घर वालों की मदद लेती हैं|
और ये जो तुम फ़ोन देख रही हो ना..इनमें से आधे से ज्यादा उन प्रेमियों के हैं जो किसी ना किसी शादीशुदा महिला को फ़साने के चक्कर में..खुद अपनी बीबियों के हत्थे चढ़ चुके हैं क्योंकि कोई भी मर्द अपने बच्चें और अपनी बीबी से अलग नहीं होना चाहता..वो बस अपनी बातों से किसी महिला को बस बेवखूफ़ बना कर बस उसका मज़ा लूटते हैं |’’
रीमा की बातें सुन स्वाति वहीँ अपना सर पकड़ कर बैठ गई और फफक कर रो पड़ी |तभी उसके मोबाइल में मैसेज टोन बजी और सामने मैसेज फ़्लैश हुआ
“हाय बेबी! मेरा सोना..कहाँ हो…सॉरी बेबी आज सारा दिन बिज़ी रहा…तुम तो जानती हो ना आज इंडिपेंडेंट डे था..पहले उठा ही लेट फिर बीबी अपने साथ पहले शोपिंग और फिर बाहुबली..2 दिखाने ले गई..अरे कुछ बोलो ना बेबी..नाराज़ हो प्लीज़ मेरे शोना..देखो नाराज़ नहीं होना…देखो मेरा मन बैचन हो रहा है…बोलो ना कुछ….
टक…टक..टक…
मैसेज आते रहे पर स्वाति ने एक का भी जवाब नहीं दिया |
और उसने उसी वक़्त अपना लैपटॉप खोल कर अपनी और उस व्यक्ति की आज तक की सारी चैट को..एक पोस्ट बना…अपनी और उसकी फ़ोटो के साथ बहुत सारे मित्रों को टेग कर उस पोस्ट को अपनी फेसबुक पर लगा दिया |
कुछ ही पलों में वो पोस्ट फेसबुक पर छा गई…उस पोस्ट को शेयर पर शेयर मिलने लगे और स्वाति की बहादुरी की चर्चा और उसके साथ खड़े होने वालों के मेसेज की तो बहार लग गई थी |
मुश्किल से पाँच मिनट भी नहीं बीतें होंगे कि मेसेज भेजने वाले का फोन आ गया और स्वाति ने अपना फोन स्पीकर मॉड पर रख कर उसकी आवाज़ रीमा भाभी को सुनाई
“हेल्लो ! स्वाति..ये क्या किया..तुम्हारी पोस्ट मेरी बीबी तक भी पहुँच गई है…तूने अपना घर तो ख़राब तो किया..मुझे भी कहीं का नहीं छोड़ा..’’
स्वाति ने इस से आगे कुछ नहीं सुना..फोन काटा और उस इंसान को अपने फोन और अपने फेसबुक पर से ब्लाक कर दिया और अपने आँखों से बहते हुए आँसू और मूक भाषा से रीमा का धन्यवाद किया| और उधर रीमा को ऐसा लग रहा था जैसे स्वाति आज की उन नादान महिलाओं के लिए एक ‘वीरांगना’ बन कर उभरी है जिसकी वजह से आज बहुत बहुत से घर तबहा होने से बच जायेंगे क्योंकि सोशल साइड पर मैंने भी स्वाति जैसे उदहारण आज तक नहीं देखा था.. जिसने अपने जीवन को दाव पर लगा..लाखों-लाखों घरों को उजड़ने से बचाया हो |