क्षितिजा | अपनों का साथ
अंतिम ..सफ़र
मन क्यों अशांत सा हैसंतुष्टि का भान क्यों नहीं है जल रहा दीयाफिर पतंगा ही परेशान सा क्यों हैभागा था वो अँधेरे से डर करक्या मिला रोशनी में आ कर क्यों आँखे सूज रही...
मेरे मालिक……..
मन क्यों अशांत सा हैसंतुष्टि का भान क्यों नहीं हैजल रहा दीयाफिर पतंगा ही परेशान सा क्यों है भागा था वो अँधेरे से डर करपर क्या मिला रोशनी में आ कर उसे क्यों आँखे...
मोहब्बत…………..
तेरे दामन से यू लिपटे है हम कि ख्याबो के मंज़र भी छोटे नज़र आने लगे हैं || दिल की दुनिया को यू सज़ा बैठे है हम तेरे संग कि भरी महफ़िल में भी...
मै जी लूंगी…मै जी लूंगी …….
मै जी लूंगी…मै जी लूंगी ..…..अजीब है इस दिल की हसरते भीपास हो कर भी दूरियाँ हैं कितनीछुने का मन करता हैपर उसके खो जाने का भी डरसताता हैंबैठे है हम पास उनके इतनामन...
मेरी तन्हाई
(आज मैं अपनी एक पुरानी पोस्ट आप सबके साथ साँझा कर रही हूँ ….इसे मैंने २४ फरवरी २०१० में लिखा था ….शब्दों के बदलाव के बिना और बिना किसी एड्टिंग के आप सबके सामने...
अजीब सी उलझन में है ये मन
अजीब सी उलझन में है ये मन अजीब सा ये एहसास हैउम्र के इस मौड़ परक्या किसी के आगमन का ये आभास हैक्यों अब ये दिल जोर जोर से धड़कता हैक्यों हर पल उसकी...