बदलते रिश्ते
मै जब भी उस से मिलती हूँक्यों उस जैसी हो जाती हूँउसके ख्यालो को सोचती हूँउसकी ही आहटो पे चलती हूँउसकी दी हुई बोली ही बोलती हूँफिर भी क्यों वो ….मेरी तरह नहीं सोचतामेरी...
अपनों के साथ के साथ ….अंजु चौधरी
मै जब भी उस से मिलती हूँक्यों उस जैसी हो जाती हूँउसके ख्यालो को सोचती हूँउसकी ही आहटो पे चलती हूँउसकी दी हुई बोली ही बोलती हूँफिर भी क्यों वो ….मेरी तरह नहीं सोचतामेरी...
क्या कभी माचिस की तीली को जलते देखा है आपने ? रोशनी से भरपूर वोपर पल भर में ढेर वोघर के चिरागों कोरोशन करती वोचुल्हा जलाभूखे को रोटी काआसरा देती वोभटके पथिक कीरोशनी की...