Monthly Archive: September 2010
जिंदगी भर तुम माने नहीं और हम तुम्हे मनाते ही रहे
किताबें बंद हैं यादों की जब सारी मेरे मन मेंये किस्से जेह्न से रह-रह कौन पढ़ता है वो बचपन में कभी जो तितलियाँ पकड़ी थीं बागों मेंबरस बीते, न अब तक रंग हाथों से...
क्या गुनाह है मेरा
क्या गुनाह है मेरा क्या गुनाह है मेराखफा क्यों हो दिल तोड़ने वालेसितमगर बेवफा कहलायेगागम में रहकर भीजीने कि कोई किरणदिखाई नहीं देती हैक्या गुनाह है मेराखफा क्यों हो जो हुए टूटे खिलौने कोफिर...
ख्वाब मेरा
उसकी बे पनाह मोहब्बत भरी बातो को समझा हर इशारे में उसकी मोहब्बत की इबादत का रंग नज़र आता है आ कर वो मेरे कानो में धीमे से एक गीत गुनगुनाता हैमैंने तो आँखों...