Monthly Archive: August 2010

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प्यार ….वो शब्द है ……ये जो अधूरा होते हुए भी अपने आप मे..पूर्ण हैप्रेम अजेर अमर है …गंगा जल समान …प्रेम राधा है ..प्रेम मीरा है ….प्यार वोह प्याला हैजिस ने पिया …बस उस...

बचपन 3

बचपन

बचपन के वो दिन जो बहुत अच्छे थे ..जिसकी याद में हर व्यक्ति खुद को जीने लगता है कुछ यादे कभी भुलाये नहीं भूलती ॥बस उन्ही यादो को लिखने की चेष्टा की है कोई...

अंतिम ..सफ़र 2

अंतिम ..सफ़र

मन क्यों अशांत सा हैसंतुष्टि का भान क्यों नहीं है जल रहा दीयाफिर पतंगा ही परेशान सा क्यों हैभागा था वो अँधेरे से डर करक्या मिला रोशनी में आ कर क्यों आँखे सूज रही...

मेरे मालिक…….. 7

मेरे मालिक……..

मन क्यों अशांत सा हैसंतुष्टि का भान क्यों नहीं हैजल रहा दीयाफिर पतंगा ही परेशान सा क्यों है भागा था वो अँधेरे से डर करपर क्या मिला रोशनी में आ कर उसे क्यों आँखे...