मेरी तन्हाई
(आज मैं अपनी एक पुरानी पोस्ट आप सबके साथ साँझा कर रही हूँ ….इसे मैंने २४ फरवरी २०१० में लिखा था ….शब्दों के बदलाव के बिना और बिना किसी एड्टिंग के आप सबके सामने...
अपनों के साथ के साथ ….अंजु चौधरी
(आज मैं अपनी एक पुरानी पोस्ट आप सबके साथ साँझा कर रही हूँ ….इसे मैंने २४ फरवरी २०१० में लिखा था ….शब्दों के बदलाव के बिना और बिना किसी एड्टिंग के आप सबके सामने...
अजीब सी उलझन में है ये मन अजीब सा ये एहसास हैउम्र के इस मौड़ परक्या किसी के आगमन का ये आभास हैक्यों अब ये दिल जोर जोर से धड़कता हैक्यों हर पल उसकी...
वजह हो तुम …….मन बेचैन है मेरा … याद् बन गये हो,क्यूंकि साथ नहीं हो तुम ………. हृदय में उतर जाते हो ,मेरी स्पंदन हो तुम …..मेरे होने की वजह , मीठा बंधन हो...
प्यार हमारा जिसका कोई रूप नहीं है जिसकी कोई भाषा ,कोई बोली नहीं है जो समझता है दिल कि ही बातो को एहसास है तो सिर्फ साथ बंध जाने का तमन्ना है तो अब...