10 Uncategorized July 31, 2009 अच्छा होता हम बच्चे ही रहते ..वो कागज़ कि कश्ती …वो बारिश का पानी …कितन अच्छा तो वो बच्चपन काखेलना …मस्ती भरे दिन थे ..मौजो की थी रातेना कुछ सोचना….न कोई चिंता …मस्त मौला...