यादे …………….
यादो के सफ़ेद परिंदे ….नीले आकश से है उतरेसफ़ेद परिंदों कि चादर चारो है फैली …कितनी निर्मल ,कितनी पवित्र ,और मन को शांति प्रदान करने वाली ,मेरी इन यादो में है बच्चपन बसा ,यौवन...
अपनों के साथ के साथ ….अंजु चौधरी
यादो के सफ़ेद परिंदे ….नीले आकश से है उतरेसफ़ेद परिंदों कि चादर चारो है फैली …कितनी निर्मल ,कितनी पवित्र ,और मन को शांति प्रदान करने वाली ,मेरी इन यादो में है बच्चपन बसा ,यौवन...
मै जग में बहुत नाची ,कभी क्रोध ने नचाया ,तो कभी कामनायों ने अपना सर उठाया ,कभी वसनायो ने आके मुझे हिलाया ,तो कभी लालच ने ललचाया ………क्या हू मै …….हर पल ये ही...
एक माँ कि पीडा …जो ना तो अपने बच्चो से कुछ कहेसकती है ……और ना ही अपने बडो को ….बड़े जो सब कुछ जानते हुए भी कुछ समझना नहीं चाहते,और …….बच्चे कुछ समझते नहीं...