नाम: अंजु (अनु) चौधरी
जन्म: २३ अगस्त १९६७
शिक्षा: बी.ए. (मिरांडा हॉउस, दिल्ली विश्वविद्यालय)
वेब साइड http://kshitijaa.com/wp-admin
ब्लॉग: http://apnokasath.blogspot.in/ (अपनों का साथ)
इ-मेल: anuradhagugni@gmail .com
संपर्क: suvidha house….710…sec 13 …urban estate karnal ,Haryana ..132001
मोबाइल: +91-9034211912 / +91-9996031345
वर्तमान: गृहणी, अपने दो बेटों और पति के साथ करनाल (हरियाणा) में निवास और अब स्वतंत्र लेखन में रमी हुई हूँ |
लेखन: बचपन से लेखन में रूचि, पर कभी किसी प्रकार की कोई शिक्षा नहीं ली, बस जब भी समय मिलता है, अपने भावों को शब्दों में उतारने की कोशिश करतीहूँ ,इसलिए दिल की आवाज सुनती और लिख देती हूँ |
प्रकाशित काव्य संग्रह:
क्षितिजा” (२०१२)
ए-री-सखी (२०१३)
कहानी संग्रह
एक प्यार ऐसा भी (प्रकाशाधीन)
संपादन:
१. “कस्तूरी” (साझा संपादित काव्य संग्रह (२०१२)
२. “अरुणिमा” (स्वतंत्र संपादन..२०१३)
३. ‘’पगडंडियाँ’’ (साँझा संपादित काव्य संग्रह (२०१३)
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह:
अनुगूँज (श्रीमती रश्मि प्रभा द्वारा सम्पादित २०११ )
शब्दों की चहलकदमी ( संपादक …सत्यम शिवम २०१३)`
नारी विमर्श के अर्थ (संपादन …रश्मि प्रभा २०१३)
समाचार पत्र और पत्रिकाओं से जुडाव:
१. निर्दलीय समाचार पत्र में बराबर प्रकाशन
२. उत्कर्ष मेल
३. वटवृक्ष हिंदी की त्रिमासिक पत्रिका की उपसम्पादक
४ . साहित्य nest हिंदी और इंग्लिश की त्रिमासिक पत्रिका के प्रतिनिधि मंडल की सदस्य
५..नव्या,रूबरू दुनिया और निर्दलीय पत्रिका से जुड़ाव(२०१२…२०१३)
सम्मान
२०११ में …निर्दलीय प्रकाशन के राष्ट्रीय अलंकरण की श्रृंखला में साहित्य वारिधि अलंकरण… कविता एवं साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित किया गया |
२०१२ में खुद का काव्य संग्रह ले कर आई ……”क्षितिजा”……इसे भी 14..4..2012 को महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी…नागपुर….international /national award…से नवाज़ा गया |
ख्याबो को बना कर मंजिल बातो से सफर तय करती हूँ, अपनों में खुद को ढूंढती और खुद की तलाश करती हूँ .बहुत सफर तय किया अभी मंजिल तक जाना हैं बाकि,जब वो मिल जाएगी तो विराम की सोचेंगे |बस ये ही हूँ मैं यानी अंजु (अनु ) चौधरी शब्दों को सोचना और उन्हें लिख लेना…ये दो ही काम करने आते हैं, साधारण सी गृहणी जो अपनी रसोई में काम करते करते इस सफर पर कब आगे बढ़ गई ये पता ही नहीं चला.कविता के रूप में जब लेखनी सामने आई तो वो काव्य संग्रह में तब्दील हो गई मेरा पहला काव्य संग्रह क्षितिजा ..ने आज एक मुकाम हासिल किया हैं| ब्लॉग लिखते लिखते लेखनी का रुख बदल गया और इस ब्लॉग जगत में एक नई पहचान दी हैं |