अभी अभी कुछ देर पहले
एक रिश्ता दरका सा है
रिश्ता दिल से था
कि था बस बातो का
पर एक विश्वास टूटा सा है ||
ये दिल लगाने वाले
अपनी ही शर्तो पे चलते है
जब मन आया याद किया
नहीं तो
तू कौन और हम कौन कि
तर्ज़ पे चलते है ||
देकर भगवान की दुहाई
दिल से खेलने की अनुमति
मांगते है
सौ सौ कसम दे कर
साथ धड़कन का मांगते है …
.और फिर
फिर भूल के कसम अपनी
अकेला छोड़ देते है ||
इन्ही करीबियों से डर सा
लगने लगा है
उनकी नजरो में अब
क्यों ये मेरा ही
अक्स बदलने लगा है ?
क्या सच में ये रिश्ता अब दरका दरका सा है ?………..
(दरका ……मतलब की टूटा टूटा सा है )
(((((अंजु…..(((((अनु)))
सत्य के बेहद निकट …बेहतरीन प्रस्तुति…
kya keh diya hai ANU G
dil laganewale kabhi tarz pe nahi chalte , jinke paas dil nahin hote tarz ke geet wahi gate hain
मन के दरकने का डर …अच्छी प्रस्तुति